तिरछे नयन कटार
घायल करती सुंदरी ,तिरछे नयन कटार।
वाण चलाये मदन के ,भरे मदिर रस धार।।
भरे मदिर रस धार, गुलाबी अधर निराले।
रूप रंग कचनार , केश हैं लंबे काले।
हिरनी जैसी चाल, बजाती छन छन पायल।
दामिनि घन सी नारि, करत है जब तब घायल।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
Simran Bhagat
22-Apr-2022 05:30 PM
Good👍🏻
Reply
Zakirhusain Abbas Chougule
22-Apr-2022 11:29 AM
वाह बहुत सुंदर रचना
Reply
रमाकांत सोनी
22-Apr-2022 07:25 AM
बहुत सुंदर रचना
Reply